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कहीं माया की माया, सच तो नही !?!

भारत बाप है, मा नही
भारत बाप है, मा नही
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कहा जाता है की समय बडा बलवान है । लेकिन वास्तव में समय है ही नही, किसीने आज तक नही देखा, ना छुआ । समय की कल्पना जरूर की है । और ईस समय की लंबाई ईतनी लंबी है की खूद कुदरत भी ईस के अन्दर जन्मा, स्रुष्टि बनाई, और एक दिन ईसी समय के अन्दर ही रेहते मर जायेगा । समय तो फिर भी अकेला दौडता ही रहेगा । अंत की कलपना नही की गई है ।
पूरखों ने समय के टुकडे किये, पल, घडी, दिन, महिना, साल, दशक, शतक और युग । समय को नापने के लिए घडी बनाई, सब से पेहली घडी थी सुर्य की स्थिती का अभ्यास । विदेश के पूर्वजों ने पल, घडी के बदले सेकन्ड, मिनट और घंटा किया और युग निकाल दिया ।
ईसा के पूर्व २००० और ईसा के बाद २५० के बीच, अमेरिका खंड के मेक्सिको, होन्डुरास, ग्वेट्माला और अल साल्वाडोर मे एक माया संस्क्रुति हुआ करती थी । उन की समय की गिनती साल की गिनती को छोड बिलकुल अलग थी । गिनती ईतनी सही थी की ३२ साल में एक सेकंड की भूल ही पाई गई है । उन के बनाये गये केलेन्डर का उपयोग ज्योतिष के काम मे भी लिया गया है । उन्हों ने समय के टूकडों को सायकल की तरह लिया है । एक दिन का सायकल, १३ दिन का सायकल ३६५ दिन का सायकल । सब से बडा सायकल ब्रह्मांड का अंत ला दे ईतना बडा है । और वो अगले साल, २१/१२/२०१२ को पूरा हो जाता है । माया संस्क्रुति के केलेन्डर मे ईस तारिख से आगे कोई तारिख ही नही है । वो मानते थे की एक सायकल पूरा होता है तो नये सायकल के साथ घटनायें भी रिपीट होती है । बडा सायकल भी रिपीट होगा, घटनायें भी रिपीट होगी तब तो दुनिया का अंत !! अफवाह फैली है की ब्रह्मांड का नवनिर्माण याने धरती का विनाश होगा ।
हमे उस अफवाह मे पडने की जरूरत नही । नवनिर्माण तो होगा लेकिन अलग से होगा । आसार तो है । दिया बुजने से पेहले चमकता है ऐसे ही धरती पर घटनायें बडी तेजी से घट रही है । एक शक्ति ईकठ्ठी हो रही है, विस्फोट होने की देर है ।

dharati

चित्र में जो गोला दिखता है वो कोइ ग्रह या लघुग्रह नही है । गोला तो है पर वो आदम जात का बनाया हुआ है । नाशक भी है पर वो धरती या अन्य जीवों का नाश नही करेगा, मानवों का नाश करेगा । ये गोला है आदमी के आदमी विरुध्ध गुस्से का, ये गोला है लोभ का, लालच का । ये गोला है गरीबों की हाय का , अभिमान का, नफरत का । दुनिया के सारे पाप, सारी बुराईयां है ईस मे । पाप का घडा है, फुटेगा जरूर ।
सब से पेहला वार होगा आदमी के पेट पर । भुख से मरना नियती बनेगी । वार करने वाला है अर्थतंत्र, जीस का अपना ही अलग गोला है, जो आज फुट गया है । दुसरा वार होगा सिधा आदमी की गरदन पर, लडाई झगडे आम हो जायेंगे । अतन्कवाद और पीडितों का जगडा पूरी जातियों का निकंदन करवा देगा । महा युध्ध भी हो सकता है । तीसरा और अंतिम वार होगा कुदरत का । धरती को कूडेदान बना दिया है, और कूडा बढेगा । धरती मां की साडी है ऑजोन, उस मे छेद कर दिये हैं ।
सुरज नानु भी देखेंगे उन के नातीयों ने उन की बेटी धरती का क्या हाल किया है । उन का गुस्सा तो झे्लना ही  है साथ मे मां धरती को भी तकलिफ होगी अपना दुध पिलाने मे ।
ये तारिख २१/१२/२०१२ निकट है, कोई भी अर्थ निकल सकता है । कहीं माया की माया सच तो नही !!!

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