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दे देना एक छोटा सा सवर्णदेश

भारत बाप है, मा नही
भारत बाप है, मा नही
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मुंबई मे लोकल ट्रेन में विकलांग के लिए अलग डिब्बे लगते है । विकलांगों के लिए अलग से पास होता है । अंधा, लंगडा, हाथ कटा यहां तक की आधी उंगली भी कटी हो तो वो विकलांग है । जरूरी नही की सब ही कमजोर या बेबस हो । पर कोटा है । कोइ सगर्भा स्त्री या कोइ ८० साल का बुढा ईन से अनेक गुना, अधिक कमजोर या बेबस होता है । भिड के कारण यदी कोइ ऐसी बेबस स्त्री या बुढा उस डिब्बे में चड जाता है तो हंगामा खडा कर देते हैं । जैसे वो खूद टीसी हो ऐसे पास मांगने लगते है । गालियां देने लगते हैं, टी.सी को बुलाने की धमकी देते हैं, धक्का मार के निचे उतार देते हैं । ऐसे अपाहिज लोग किसी के दया के अधिकारी नही है ।

आज सरकार कोटे का कानून पास करनेवाली है । ईस समाचार के लेख की कोमेंट पढकर मुझे ये अपाहिज याद आ गये । ईस कानून के विरोध में कोमेंट देनेवालों पर कानून तरफी लोग ईन अपाहिजों की तरह गालियां बकते है । ६५ साल के बाद भी अपाहिज बनकर जीना है तो जीते रहे । पर सरका को अब बडा कदम उठाना पडेगा । उसे अब सरकारी जाती ही बना दो ।

जी हां, सरकारी जाती । जीतनी भी पिछडी जाती है उसे सरकारी जाती जाहिर कर दो और १०० टक्का कोटा दे दे । और दुसरे को बोल दो की अब आप के बच्चों को पढाना हो अपना स्कूल खोल लो । सरकारी स्कूल कोलेज अब से सरकारी जाती के लिए है । नौकरी भी ईन को ही मिलेगी । ईस से अनिस्चितता खतम होगी और जान छुटेगी दुसरे लोगों की ।

दुसरे लोग अपना अपना ईन्तजाम कर लेंगे । नैकरी की आशा नही होने पर ऐसे स्कूल वो खूद खोलेंगे जो धंधे रोजगार ही सिखायेंगे । वो क्यों सरकार के बुढे मरे नेताओं की जीवनी के पाठ पढे ? सरकारी जाती को ही पढाओ । फिर टांग मत मारना की हमारे सरकारी बच्चों का उस में कोटा दे दे । जब १०० टक्का सरकारी स्कूल कोलेज आपके पास हो तो आप का अधिकार भी नही बनता । अपने तरिके से लोग पढेंगे, कारोबार या मजदूरी करेंगे या चले जायेंगे विदेश । वैसे भी ईस देश में उन के लिये रख्खा क्या है ।

देश के टुकडे करना चाहते हो ना, वो भी आसान हो जायेगा । एक कोमेंट वाले ने तो तीसरा पाकिस्तान मांग लिया है । बोआई तो बाबरी के समय हुई थी अंकुर अब फुटे हैं । कोटालेंड की बोआई आज कर रहे हो अंकुर फुटेगा जब मुंबई की ईंदु मिल की जमीन की लूटा लूट होगी , कोटालेंड के प्रणेता आंबेडकर के नाम पर कोटालेंड की राजधानी  बनाई जाएगी  ।

दुसरे किधर जायेंगे ?  तिसरे पाकिस्तान या कोटालेंड में तो नही रहेंगे , दे देना एक छोटा सा सवर्णदेश ।

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