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आदमी को आदमी से लडाना

भारत बाप है, मा नही
भारत बाप है, मा नही
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नोट ; हम कहते हैं हमारे पास नोलेज का खजाना है । बात सही है लेकिन साथ में भ्रम बहुत फैला हुआ है । क्या सच क्या जुठ तय करना मुश्किल है । मैं सिर्फ दुसरों से सहमत हुं ईस लिए लिखा है, सब को सहमत होना जरूरी नही ।

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जगत का संचालन करने का जीन लोगोंने ठेका लिया है उन को हिन्दु प्रजा बिलकुल पसंद नही है । हिन्दु प्रजा का मोरल वेल्यु बहुत उंचा था । १७७२ मे परचा भी मिल गया था, जब साधुओने  हथियार उठये थे, की ये प्रजा लडने में भी पिछे नही है । शीवाजी, राणाप्रताप और रानी लक्ष्मीबाई का भी ईतिहास है । उन लोगों को पूरी पृथ्वि पर राज करना है, और आबादी भी ज्यादा है कंट्रोल करने के लिए । आबादी कम करना है । डिपोप्युलेशन का पहला शिकार हिन्दु प्रजा है ।

डिपोप्युलेशन के काफी रास्ते हैं । सब रास्ते के लिए एक एक लेख लिख सकते है । आज का लेख “आदमी को आदमी से लडाना” इस की शुरुआत १९०५ में बंगाल के दो हिस्से किए तब से हो गई थी । जनता को जनता के ही हाथों मरवा देना और खूद शरीफ बने रहना अच्छा रहता है । उनका मानना था की मुस्लिम प्रजा को छेडने से पागल हो जाती है, धर्म के नाम पर अच्छी तरह कंट्रोलमें आ जायेगी धर्म का वास्ता देने पर गुलाम हो जायेगी । पहले इसी प्रजा द्वारा हिन्दुओं का कांटा दनिकाल देना है । और यही हुआ भी ।

गांधीजी के भारत आने से पहले अंग्रेज सरकार बहुत दबाव में थी । देशी स्वातंत्र संग्रामी भारी पड रहे थे । अगर ये देसी लोग सफल हो जाते हैं तो भारत पूरी तरह हाथ से निकलने का डर था । अंग्रेज गांधीजी को आफ्रिका के उन के आंदोलन के कारण जानते थे । गांधीने अंग्रेजों से दोस्ती रखकर कुछ काम निकाल लिये थे । वो जानते थे गांघी जनम से तो हिन्दु थे लेकिन हिन्दुवाली कोइ बात उसमें नही है । एक अफवा के अनुसार गांधी १९९६ में इसाई बन गये थे । गांधी को विश्वमानव बनाने का लालच दिया, उन्हें विश्व सरकार का खाका समजाया गया, अपने साथ मिला लिया । भारत के मिडियामें प्रचार करवाया आफ्रिका के उनको कार्यों को ले कर ।

नतिजा ये हुआ की गांघी जब भारत आये तो हजारों लोग उनके स्वागत के लिए मुबई के पोर्ट पर हाजर थे । भारतमें काम किये बीना मिली लोकप्रियता के बल पर स्वातंत्र का पूरा आंदोलन हाईजेक कर लिया । जनता के हाथमें रहे हथियार छीन लिया । जनता को मार खाना सिखा दिया । दया, माया, प्रेम, अहिन्सा, भाईचारे जैसे शब्दों से जनता को नपुंसक बना दिया । गांधी जानते थे हिन्दु चने के झाड पर चड जायेंगे । मुस्लिमो का उपयोग धर्म का वास्ता देकर हिन्सक बना दिया जायेगा । परिणाम ये हुआ की जब आजादी मिली तब के दंगों में हिन्दुओं के पास हथियार नही रहे और हिन्दुओं का कत्लेआम हो गया । खिलाफत के आंदोलन से ले के मरने तक गांधीने कैसे हिन्दुओं को प्रताडित किया और मुस्लीमों को कैसे सिर पर चडाया उस पर बहुत लोगोंने लिखा है । इन लिखनेवालों को ये बोलकर खारिज कर दिया की गांघी की निदा करने से आदमी अपना नाम कमाना चाहता है । लेकिन वो सबने सही लिखा था । चलो फिर भी उन के लेखन पर हम विश्वास ना करें, लेकिन उनके ही समकालीन, एक पत्रकार और संपादक, उनका ही खूनी नथुराम गोडसे का कोर्टंमें दिया हुआ बयान खारीज नही हो सकता, वो कोर्टने दर्ज किया हुआ था ।

गोडसे अपना बचाव नही चाहता था लेकिन मरने से पहले भारत की जनता को अपनी बात बताना चाहता था, क्यों गांघी को मारना पडा । अपने बयानों में देश हितमें मारा था वो बात साबित कर दी । नहेरू सरकारने वो बयान जनता के पास ना चले जाये ईस लिये वो बयान की फाईल पर प्रतिबंध लगा दिया । सालों की मेहनत के बाद उस गैर कानूनी प्रतिबंध हटवा लिया गया है और किताब के रूपमें मिल रहा है । ये उस की पीडीएफ फाईल है ।

किताब अंग्रेजीमें है । कुछ बातें हिन्दीमें जो गांधीको हिन्दु विरोधी साबित करती है ।

भगत सिंह व उसके साथियों के मृत्युदण्ड के निर्णय से सारा देश क्षुब्ध था व गाँधी जी की ओर देख रहा था कि वह हस्तक्षेप कर इन देशभक्तों को मृत्यु से बचाएं, किन्तु गाँधी जी ने भगत सिंह की हिंसा को अनुचित ठहराते हुए जनसामान्य की इस माँग को अस्वीकार कर दिया। क्या आश्चर्य कि आज भी भगत सिंह वे अन्य क्रान्तिकारियों को आतंकवादी कहा जाता है।

6 मई 1946 को समाजवादी कार्यकर्ताओं को अपने सम्बोधन में गाँधी जी ने मुस्लिम लीग की हिंसा के समक्ष अपनी आहुति देने की प्रेरणा दी । मर जाओ लेकिन मुस्लिमो के खिलाफ हथियार मत उठाओ ।

.मोहम्मद अली जिन्ना आदि राष्ट्रवादी मुस्लिम नेताओं के विरोध को अनदेखा करते हुए 1921 में गान्धी ने खिलाफ़त आन्दोलन को समर्थन देने की घोषणा की। तो भी केरल के मोपला में मुसलमानों द्वारा वहाँ के हिन्दुओं की मारकाट की जिसमें लगभग 1500 हिन्दु मारे गए व 2000 से अधिक को मुसलमान बना लिया गया। गाँधी जी ने इस हिंसा का विरोध नहीं किया, वरन् खुदा के बहादुर बन्दों की बहादुरी के रूप में वर्णन किया । ( हिन्दुओं को मारने के बदले शाबाशी ? )

1926 में आर्य समाज द्वारा चलाए गए शुद्धि आन्दोलन में लगे स्वामी श्रद्धानन्द जी की हत्या अब्दुल रशीद नामक एक मुस्लिम युवक ने कर दी, इसकी प्रतिक्रियास्वरूप गाँधी जी ने अब्दुल रशीद को अपना भाई कह कर उसके इस कृत्य को उचित ठहराया व शुद्धि आन्दोलन को अनर्गल राष्ट्र-विरोधी तथा हिन्दु-मुस्लिम एकता के लिए अहितकारी घोषित किया।

गाँधी जी ने अनेक अवसरों पर छत्रपति शिवाजी, महाराणा प्रताप व गुरू गोविन्द सिंह जी को पथभ्रष्ट देशभक्त कहा।

गाँधी जी ने जहाँ एक ओर काश्मीर के हिन्दु राजा हरि सिंह को काश्मीर मुस्लिम बहुल होने से शासन छोड़ने व काशी जाकर प्रायश्चित करने का परामर्श दिया, वहीं दूसरी ओर हैदराबाद के निज़ाम के शासन का हिन्दु बहुल हैदराबाद में समर्थन किया । मक्का चले जाने के लिये नही कहा ।

यह गान्धी ही था जिसने मोहम्मद अली जिन्ना को कायदे-आज़म की उपाधि दी।

कॉंग्रेस के ध्वज निर्धारण के लिए बनी समिति (1931) ने सर्वसम्मति से चरखा अंकित भगवा वस्त्र पर निर्णय लिया किन्तु गाँधी कि जिद के कारण उसे तिरंगा कर दिया गया।

लाहोर कॉंग्रेस में वल्लभभाई पटेल का बहुमत से चुनाव सम्पन्न हुआ किन्तु गान्धी की जिद के कारण यह पद जवाहरलाल नेहरु को दिया गया । सरदार को वो हिन्हु के समर्थक मानते थे ।

14-15 जून, 1947 को दिल्ली में आयोजित अखिल भारतीय कॉंग्रेस समिति की बैठक में भारत विभाजन का प्रस्ताव अस्वीकृत होने वाला था, किन्तु गान्धी ने वहाँ पहुंच प्रस्ताव का समर्थन करवाया। यह भी तब जबकि उन्होंने स्वयं ही यह कहा था कि देश का विभाजन उनकी लाश पर होगा।

मोहम्मद अली जिन्ना ने गान्धी से विभाजन के समय हिन्दु मुस्लिम जनसँख्या की सम्पूर्ण अदला बदली का आग्रह किया था जिसे गान्धी ने अस्वीकार कर दिया । जीन्ना की बात व्यवहारिक थी । लेकिन गांधी नही चाहते थे की मुस्लिम भारत से चले जाय ।

. जवाहरलाल की अध्यक्षता में मन्त्रीमण्डल ने सोमनाथ मन्दिर का सरकारी व्यय पर पुनर्निर्माण का प्रस्ताव पारित किया, किन्तु गान्धी जो कि मन्त्रीमण्डल के सदस्य भी नहीं थे ने सोमनाथ मन्दिर पर सरकारी व्यय के प्रस्ताव को निरस्त करवाया और 13 जनवरी 1948 को आमरण अनशन के माध्यम से सरकार पर दिल्ली की मस्जिदों का सरकारी खर्चे से पुनर्निर्माण कराने के लिए दबाव डाला।

अक्तूबर 1947 को पाकिस्तान ने काश्मीर पर आक्रमण कर दिया, उससे पूर्व माउँटबैटन ने भारत सरकार से पाकिस्तान सरकार को 55 करोड़ रुपए की राशि देने का परामर्श दिया था। केन्द्रीय मन्त्रीमण्डल ने आक्रमण के दृष्टिगत यह राशि देने को टालने का निर्णय लिया किन्तु गान्धी ने उसी समय यह राशि तुरन्त दिलवाने के लिए आमरण अनशन किया- फलस्वरूप यह राशि पाकिस्तान को भारत के हितों के विपरीत दे दी गयी।

क्या ५००० हिंदू की जान से बढ़ कर थी मुसलमान की ५ टाइम की नमाज़? विभाजन के बाद दिल्ली की जमा मस्जिद मे पानी और ठंड से बचने के लिए ५००० हिंदू ने जामा मस्जिद मे पनाह ले रखी थी…मुसलमानो ने इसका विरोध किया पर हिंदू को ५ टाइम नमाज़ से ज़यादा कीमती अपनी जान लगी.. इसलिए उस ने माना कर दिया. .. उस समय गाँधी नाम का वो शैतान बरसते पानी मे आया कहने लगा “तूम लोग भारत क्यों आये ? अहिन्सा के रास्ते अनशन कर के मर जाते वहीं पर ।“ और बैठ गया धरने पर की जब तक हिंदू को मस्जिद से भगाया नही जाता तब तक गाँधी यहा से नही जाएगा….फिर पुलिस ने मजबूर हो कर उन हिंदू को मार मार कर बरसते पानी मे भगाया…. और वो हिंदू— गाँधी मरता है तो मरने दो —- के नारे लगा कर वाहा से भीगते हुए गये थे…,,, रिपोर्ट — जस्टिस कपूर.. सुप्रीम कोर्ट….. फॉर गाँधी वध क्यो ?

गांधी जी कहा करते थे कि गौरक्षा करने से मोक्ष मिलता हैं । सन 1921 में गोपाष्टमी के अवसर पर पटौदी हाउस में एक सभा के अन्दर , जिसमें हकीम अजमल खान , डॉ. अन्सारी , लाला लाजपतराय , पं. मदन मोहन मालवीय आदि उपस्थित थे , तभी इन सभी लोगों के समझ एक प्रस्ताव पास कराया गया कि ” गौहत्या को अंग्रेजी सरकार कानूनी दृष्टि से बन्द करे , नहीँ तो देशव्यापी असहयोग आन्दोलन आरम्भ किया जायेगा । ”
इसके बाद कांग्रेस के कार्यक्रमों में ‘ गौरक्षा ‘ सम्मेलनों का आयोजन होने लगा । परन्तु गांधी जी ने यह पाखण्ड केवल हिन्दुओं को अपना अनुयायी बनाने के लिए किया था ।
15 अगस्त 1947 को भारत के आजाद होने पर देश के कोने – कोने से लाखों पत्र और तार प्रायः सभी जागरूक व्यक्तियों तथा सार्वजनिक संस्थाओं द्वारा भारतीय संविधान परिषद के अध्यक्ष डॉ. राजेन्द्र प्रसाद के माध्यम से गांधी जी को भेजे गये जिसमें उन्होंने मांग की थी कि अब देश स्वतन्त्र हो गया हैं अतः गौहत्या को बन्द करा दो । तब गांधी जी ने कहा कि ” राजेन्द्र बाबू ने मुझको बताया कि उनके यहाँ करीब 50 हजार पोस्ट कार्ड , 25 – 30 हजार पत्र और कई हजार तार आ गये हैं । हिन्दुस्तान में गौ – हत्या रोकने का कोई कानून बन ही नहीं सकता । इसका मतलब तो जो हिन्दू नहीं हैं , उनके साथ जबरदस्ती करना होगा ।

जो आदमी अपने आप गौकुशी नहीं रोकना चाहते , उनके साथ मैं कैसे जबरदस्ती करूँ कि वह ऐसा करें । इसलिए मैं तो यह कहूँगा कि तार और पत्र भेजने का सिलसिला बन्द होना चाहिये इतना पैसा इन पर फैंक देना मुनासिब नहीं हैं । मैं तो अपनी मार्फत सारे हिन्दुस्तान को यह सुनाना चाहता हूँ कि वे सब तार और पत्र भेजना बन्द कर दें । भारतीय यूनियन कांग्रेस में मुसलमान , ईसाई आदि सभी लोग रहते हैं । अतः मैं तो यही सलाह दूँगा कि विधान – परिषद् पर इसके लिये जोर न डाला जाये । ” ( पुस्तक – ‘ धर्मपालन ‘ भाग – दो , प्रकाशक – सस्ता साहित्य मंडल , नई दिल्ली , पृष्ठ – 135 )
गौहत्या पर कानूनी प्रतिबन्ध को अनुचित बताते हुए इसी आशय के विचार गांधी जी ने प्रार्थना सभा में दिये ।

आज के दिनोंमें हम कोम्ग्रेस पर आरोप लगाते हैं की वो मुस्लिमों का तुष्टिकरण करती है । ईस बातसे तो खूश होती है उसका असली एजन्डा छुपा रहता है । पढे लिखे पर मुर्ख हिन्दुओं को धर्मनिर्पेक्षता का जहर पिला दिया । जब की मुस्लिमो को अपनी मस्जीदने कट्टर पंथी बनाये रख्खा । हर कानून हिन्दुओं को तोडने के बनाये जा रहे हैं । हिन्दु मेरेज एक्ट ईस लिये बना की हिन्दु दो दो पत्निया भी कर लेते थे । बाल विवाह कानून लडके लडकी के हित के लिये नही पर जीवन में बच्चे ज्यादा ना पैदा करदे वो चिंता थी ।

महाराष्ट सरकार कानून ला रही है जीस से हिन्दु किसी को बोल नही पायेगा की “भगवान की कृपासे मुझे कोइ चीज मिली है” । उसे साबित करना होगा भगवानने कैसे दिया । वरना अंधश्रध्धा फैलाने के जुर्म में जेल जाना पडेगा । ईस कानून का विरोध नही हुआ तो पूरे देशमें आने से कोइ नही रोक पायेगा ।

532338भारत और पाक सरकार क्या दुश्मन है ? जी नही मित्र है ।  आतंकवादी क्या अपने आप आ जाते हैं या बुलाया जाता है ?  मुबई का ताज होटेल का हमला क्या प्रायोजित था ? साबित कोइ कर नही सकता लेकिन लगता तो यही है । ईस हमले से पहले ही हिन्दु आतंकवाद की खुसुर फुसुर चालु हो गई थी । रहुल गांघीने एक अमरिकी से ईस विषय पर बात भी की थी । हिन्दुओं को आतंकवादी साबीत करना था ताकी बुध्धिहिन धर्मनिर्पेक्ष हिन्दु बाकी हिन्दु की खिंचाई करता रहे और हिन्दु प्रजा आत्म ग्लानी से पिडित हो कर कमजोर हो जाए । पूरा इन्तजाम हो गया था हिन्दु को आतंकी साबित करने का लेकिन कसाब जिन्दा पकडा गया तो दोनो मित्र सरकार फंस गई । आतंकी को पहनाये गये हिन्दु पहनते हैं ऐसे लाल सुत के धागे, आई कार्ड मे हिन्दु नाम, दिग्गी करकरे का टेलिफोन एपिसोड, मुस्लिम पूलीस द्वारा हिन्दु को आतंकी बतानेवाली, जल्दीमें लिखी गई और प्रकाशीत की गई, दिग्गी द्वारा रिलीज की गई किताब, ये सब क्या बताते है ?

सरकार विफल रही तो अमरिकियोंने अपने गुर्गे को आगे कर दिया है ईस फोटोमें दिखते स्त्री और पुरुष अमरिका के धन के बल पर अभियान चला रहे है भगवा युध्ध का । उनका ईशारा शायद युपीमें हो रहे दंगे होन्गे । या हिन्दु मुस्लीम को भडका के तैयार कर रहे हैं । दंगा करो । हमारा मालिक यही चाहता है । दंगे अभी तक मिडियामें नही दिखाया लोग कहते हैं दंगे है ।

उन को अंग्रेज फंड कैसे देते थे ईस विडियोमें देखिए ।

Why Britishers supported Mohandas Gandhi and how it helped Britishers

Congress trying to Kill Hindu Dharm in the name of Secularism - MUST WATCH!

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